बिना सर्जरी संभव है प्रोस्टेट का इलाज -
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रेडियोलॉजिकल तकनीक से प्रोस्टेट के आकार को कम कर परेशानी से छुटकारा दिलाना संभव हो गया है
By Jagran Edited By: Updated: Tue, 13 Feb 2018 01:54 PM (IST) बिना सर्जरी संभव है प्रोस्टेट का इलाजलखनऊ (जागरण संवाददाता)। उम्र बढ़ने के साथ 25 से 30 फीसदी पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ जाता है, जिसकी वजह से पेशाब में रुकावट होने लगती है। इसके इलाज में यूरोलाजिस्ट दवाएं देते हैं या सर्जरी करते हैं, लेकिन अब इंटरवेंशन रेडियोलॉजिकल तकनीक से प्रोस्टेट के आकार को कम कर परेशानी से छुटकारा दिलाना संभव हो गया है। संजय गाधी पीजीआई में इंटरनेशनल सोसाइटी फार इंटरवेशन रोडियोलाजी के अधिवेशन में इस तकनीक के बारे में जानकारी दी गई।
आयोजक प्रो. शिव कुमार ने बताया कि फ्रास के डॉ. गायमुलीन ने इस तकनीक के बारे पूरी जानकारी दी। बताया कि प्रोस्टेट यदि पचास ग्राम से अधिक होता है तो प्रोस्टेट को रक्त सप्लाई करने वाली नस तक बिना सर्जरी पहुंचकर उस नस में क्वायल या प्लग लगाकर रक्त प्रवाह को कम कर देते हैं, जिससे प्रोस्टेट का आकार कम हो जाता है और व्यक्ति की परेशानी धी-धीरे कम हो जाती है। अभी यह तकनीक पीजीआइ में शुरू नहीं हुई है आगे इसे शुरू करने की योजना है।
डिवाइस से खींच लेते है पैर की नस से खून का थक्का
डीप वेन थ्रम्बोसिस पैर की नसों की ऐसी बीमारी है, जिसमें रुकावट होने पर पैर की नसों में खून जम जाता है, जिससे पैर में सूजन आ जाती है। समय से इलाज न होने पर पैर में घाव हो जाता है। इसका मुख्य कारण खून का थक्का बनना होता है। इसके लिए खून पतला करने की दवाएं दी जाती है, लेकिन कई बार इससे भी आराम नहीं मिलता है। ऐसे में मरीजों में इंटरवेंशन तकनीक से मैकेनिकल थ्रम्बोक्टमी डिवाइस से खून के थक्के को नस से खींच लिया जाता है। थक्का निकल जाने पर रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है। इसके साथ पैर की नस में छलनी लगा दी जाती है, जिससे थक्का फेफडे़ में वापस न जाए। इस परेशानी का पता लगाने के लिए कलर डाप्लर कराया जाता है। यदि 15 से 20 मिनट भी खड़ा होने में पैर में दर्द और पैर में सूजन की परेशानी हो रही है, तो इसकी जाच करानी चाहिए। डीवीटी की परेशानी लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने वाले मरीजों में ज्यादा होती है।
आरएफए से संभव है वेरीकोश वेन का इलाज
पैर की नस वेरीकोश वेन में अधिक रक्त प्रवाह होने पर नस फूल जाती है, जिससे कई बार पैर में घाव हो जाता है। इस नस को कम इंटरवेशन तकनीक से फोम (खास दवा) डाल कर बंद कर देते है, लेकिन यह परमानेंट इलाज नहीं है। आरएफए (रेडियो फ्रिक्वेंसी एवीलेशन) से नस में इंलेक्ट्रोड से विशेष मात्रा में करंट देकर नस को जला देते है, जिससे यह परेशानी दूर हो जाती है।
लिवर में बाई पास कर कम किया जाता है प्रेशर
लिवर को 70 फीसदी खून पोर्टल वेन और 30 फीसदी खून हिपैटिक वेन सप्लाई करती है। पोर्टल वेन में रुकावट होने पर नस फूल कर कई बार फट जाती है, जिससे खून की उल्टी होती है। लिवर सिरोसिस या खून में थक्का जमने की परेशानी होने पर रुकावट की आशका बढ़ जाती है। इस परेशानी में इंटरवेंशन तकनीक से बिना पेट खोले हम लोग पोर्टल वेन के रक्त प्रवाह को बाई पास हिपैटिक वेन में कर देते है और स्टेंट लगा देते हैं। इससे पोर्टल वेन में प्रेशर कम हो जाता है।